शनिवार, 9 अप्रैल 2016

माँ की ममता

वो धीमी सी मुस्कान ,
है कुछ इससे पाक ना माने दिल बेईमान।
माथे पे ना कोई शिकन का नामोनिशान,
देखते ही लगा हुआ सब दुखो का निदान ।  
बाहे फैलाए था जैसे फ़िक्र ना कोई,
उसे सोता देख माँ ख़ुशी के आँसू रोई । 
माँ की ममता  है बड़ी  निराली ,
जिसे मिल जाए उससे बड़ा न कोई भाग्यशाली।